एक बाप-बेटे पाल्थी मार ज़मीन पर बैठे हैं और सामने रखी ढेरों फ़ाइलें और सरकारी काग़ज़ों को क़रीने से समेट रहे हैं. पास ही रसोई में चावल और मछली का झोल पक रहा है. सामने रखे टीवी में एक बांग्ला न्यूज़ चैनल पर ख़बर आ रही है कि ममता बनर्जी और अमित शाह अलग-अलग तारीख़ों पर इलाक़े में चुनाव प्रचार करेंगे. पैंतीस साल के बप्पा बंगाल ने पिता से कहा, "काओके वोट देबे ना" , यानी किसी को भी वोट नहीं देना है इस बार. पिता ने हामी भारी और रसोई की तरफ़ भात लेने बढ़ गए. बप्पा के परिवार में कुल छह सदस्य हैं, जिसमें माँ-बाप, पत्नी के अलावा दो बच्चे भी शामिल हैं. इनकी तीन पीढ़ियाँ पश्चिम बंगाल के सिंगूर में रहती आईं हैं और उनके मुताबिक़, "हमने हर चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा भी लिया, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ". उन्होंने कहा, "ये सब ज़मीन हमारी है, पूरे सात बीघा. मुझसे बोलते हैं आपका ज़मीन ठीक हो गया आप ले लो, मैं आया तो देखा मेरी ज़मीन ऐसे ही पड़ी हुई है." मैंने पूछा आख़िर इस ज़मीन में आप खेती क्यों नहीं करना चाहते? अब बप्पा की आवाज़ में गुस्साहट समा चुकी थी, &qu