आरक्षण पर सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान के बाद सियासी हलकों में एक बार फिर से गहमागहमी बढ़ गई है. दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "आरक्षण के विरोधी और उसके समर्थक अगर एक दूसरे की बात समझ लें गे तो इस समस्या का हल चुटकी में निकाला जा सकता है." उन्होंने कहा, "एक दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए. ये सद्भावना जब तक समाज में पैदा नहीं होती तब तक इस मसले का हल नहीं निकल सकता." उनके वक्तव्य की कांग्रेस और बसपा ने कड़ी निंदा की है. एनडीए के साझीदार दल जैसे रामदास अठावले और रामविलास पासवान ने इस बयान पर अपनी असहमति दर्ज कराई है. इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव के वक़्त मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर जो बयान दिया था, उससे भी काफ़ी बवाल मचा था. उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोहन भागवत के बयान पर सफ़ाई दी थी. इस समय भी मोहन भागवत के बयान पर आरएसएस की तरफ़ से सफ़ाई दी गई है कि संघ का आरक्षण से विरोध नहीं है. आरक्षण के मुद्दे पर सर्वसम्मति से बात होनी चाहिए. संघ के स्पष्टीकरण के मुताबिक़, 'मोहन भागवत ने अपने बयान में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अप