बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बीबीसी हिंदी के फ़ेसबुक लाइव में राम मंदिर, रफ़ाल, नोटबंदी और लोकसभा चुनावों जैसे कई मुद्दों पर बात की.
उन्होंने बीबीसी संवाददाता सलमान रावी के साथ इस बातचीत में जहां हिंदुत्व को चुनावी मुद्दा बताया तो वहीं मौजूदा सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल भी उठाए.
सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्तमान राजनीतिक स्थिति, भावी चुनावों और मुद्दों को लेकर क्या-क्या कहा. पढ़िए स्वामी से बीबीसी की पूरी बातचीत...
राम मंदिर पर बीजेपी की दूरी के मायने?
बीजेपी को इस मामले पर दूर ही रहना चाहिए. वो सत्तारूढ़ दल है. मैंने राम मंदिर पर कोर्ट में याचिका दायर की है. इसे किसी पार्टी का सवाल नहीं बनाना चाहिए. खेद की बात है कि हमारे देश में बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने ही ये मुद्दा उठाया है.
जबकि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने उस जगह पर मंदिर होने की बात को प्रमाणित किया है. वहां मंदिर के बाद ही मस्जिद बनाई गई थी.
इस्लाम धर्म ने और सुप्रीम कोर्ट ने मेरी याचिका में पुष्टि की है कि मस्जिद उस जगह का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है.
तो मैं सोचता हूं कि जब ये राम की जन्मभूमि है और राम आस्था के अनुसार एक तथाकथित जगह पर पैदा हुए तो पहले के मंदिर को दोबारा बनाने की बात को सारे समाज को मानना चाहिए.
शिवसेना हमारी सहयोगी है. लोकतंत्र में इतना विरोध तो हो ही सकता है. लेकिन, मैं दावा करता हूं कि बीजेपी और शिवसेना का साथ किसी भी हालत में नहीं छूटेगा.
सैय्यद शहाबुद्दीन को लिखी चिट्ठी में स्वामी ने मुसलमानों के साथ अन्याय होने पर उनका साथ देने की बात लिखी थी लेकिन अब वो राम मंदिर का समर्थन कर रहे हैं.
इस पर स्वामी ने कहा—
हाशिमपुरा मैंने ही जीत कर दिया. इस मामले में आजीवन कारावास की सज़ा दिलाई. जहां भी अन्याय होगा तो मैं ज़रूर लड़ूंगा.लेकिन, हिंदुओं के साथ भी बहुत अत्याचार हुआ है. उसे भी ठीक करना है.
मुझे क्यों अफ़सोस होना चाहिए, अफ़सोस उन्हें होना चाहिए जिन्होंने मुझे बाहर रखा.
करतारपुर कॉरिडर पर विरोध क्यों?
मुझे लगता है कि करतापुर कॉरिडर में दोनों मंत्रियों को नहीं जाना चाहिए. इसे बनाने के लिए आदेश देना ग़लत नहीं है लेकिन इसे त्योहार की तरह मनाना सही नहीं है. मुंबई हमले के बाद सब लोग जश्न मना रहे थे जिसमें पाकिस्तान सरकार के नुमाइंदे भी शामिल थे.
यहां से मंत्रियों के जाने से पाकिस्तान के प्रस्ताव को सम्मान मिलता है. आज की परिस्थिति में थोड़ा भी सम्मान नहीं मिलना चाहिए.
उन्होंने बीबीसी संवाददाता सलमान रावी के साथ इस बातचीत में जहां हिंदुत्व को चुनावी मुद्दा बताया तो वहीं मौजूदा सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल भी उठाए.
सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्तमान राजनीतिक स्थिति, भावी चुनावों और मुद्दों को लेकर क्या-क्या कहा. पढ़िए स्वामी से बीबीसी की पूरी बातचीत...
राम मंदिर पर बीजेपी की दूरी के मायने?
बीजेपी को इस मामले पर दूर ही रहना चाहिए. वो सत्तारूढ़ दल है. मैंने राम मंदिर पर कोर्ट में याचिका दायर की है. इसे किसी पार्टी का सवाल नहीं बनाना चाहिए. खेद की बात है कि हमारे देश में बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने ही ये मुद्दा उठाया है.
जबकि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने उस जगह पर मंदिर होने की बात को प्रमाणित किया है. वहां मंदिर के बाद ही मस्जिद बनाई गई थी.
इस्लाम धर्म ने और सुप्रीम कोर्ट ने मेरी याचिका में पुष्टि की है कि मस्जिद उस जगह का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है.
तो मैं सोचता हूं कि जब ये राम की जन्मभूमि है और राम आस्था के अनुसार एक तथाकथित जगह पर पैदा हुए तो पहले के मंदिर को दोबारा बनाने की बात को सारे समाज को मानना चाहिए.
शिवसेना हमारी सहयोगी है. लोकतंत्र में इतना विरोध तो हो ही सकता है. लेकिन, मैं दावा करता हूं कि बीजेपी और शिवसेना का साथ किसी भी हालत में नहीं छूटेगा.
सैय्यद शहाबुद्दीन को लिखी चिट्ठी में स्वामी ने मुसलमानों के साथ अन्याय होने पर उनका साथ देने की बात लिखी थी लेकिन अब वो राम मंदिर का समर्थन कर रहे हैं.
इस पर स्वामी ने कहा—
हाशिमपुरा मैंने ही जीत कर दिया. इस मामले में आजीवन कारावास की सज़ा दिलाई. जहां भी अन्याय होगा तो मैं ज़रूर लड़ूंगा.लेकिन, हिंदुओं के साथ भी बहुत अत्याचार हुआ है. उसे भी ठीक करना है.
मुझे क्यों अफ़सोस होना चाहिए, अफ़सोस उन्हें होना चाहिए जिन्होंने मुझे बाहर रखा.
करतारपुर कॉरिडर पर विरोध क्यों?
मुझे लगता है कि करतापुर कॉरिडर में दोनों मंत्रियों को नहीं जाना चाहिए. इसे बनाने के लिए आदेश देना ग़लत नहीं है लेकिन इसे त्योहार की तरह मनाना सही नहीं है. मुंबई हमले के बाद सब लोग जश्न मना रहे थे जिसमें पाकिस्तान सरकार के नुमाइंदे भी शामिल थे.
यहां से मंत्रियों के जाने से पाकिस्तान के प्रस्ताव को सम्मान मिलता है. आज की परिस्थिति में थोड़ा भी सम्मान नहीं मिलना चाहिए.
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